BA Semester-1 Aahar, Poshan evam Swachchhata - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2637
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 आहार, पोषण एवं स्वच्छता

'वसा’- सामान्य परिचय

हमारे आहार के छह अनिवार्य पोषक तत्त्वों में वसा का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। वसा प्रकृति से प्राप्त उन भोज्य-तत्त्वों के समूह को कहते हैं, जो पानी में अघुलनशीनल होते हैं, चिकनापन लिए होते हैं तथा विभिन्न कार्बनिक द्रवों में घुलनशील होते हैं। ये भोज्य-तत्त्व जन्तु तथा वनस्पति दोनों माध्यमों से प्राप्त होते हैं। तेल व वसा वनस्पति तथा जन्तु दोनों ही स्त्रोतों से प्राप्त होते हैं। कुछ ऐसे यौगिक भी होते हैं, जो मूलतः वसा नहीं होते, परन्तु देखने में बहुत कुछ वसा जैसे ही लगते हैं। इन सभी वसा से मिलते-जुलते पदार्थों को लिपिड्स कहा जाता है।

प्राय: कार्बोहाइड्रेट्स की अपेक्षा वसा दुगुनी मात्रा से भी ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न करती है। कार्बोहाइड्रेट के 1 ग्राम से जहाँ 4 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है, वहीं एक ग्राम वसा से 9 कैलोरी ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

वसा की प्राप्ति के प्रमुख स्रोत

वसा की प्राप्ति के स्रोत निम्न प्रकार है-

1. वनस्पति स्त्रोत - वानस्पतिक वसा अलसी, सरसों, मूँगफली, तिल, बिनौला आदि के तेलों तथा विभिन्न प्रकार के बीजों तथा सूखे मेवों में पायी जाती है। इसके अलावा कुछ अनाजों, सोयाबीन आदि में भी कुछ मात्रा में वसा पायी जाती है।

2. पशुजन्य स्रोत — इसके अन्तर्गत, दूध से बने उत्पाद, दूध, मांस, अण्डा, मछली, अण्डे की जर्दी आदि भोज्य पदार्थ आते हैं।

वसा की अधिकता से होने वाले प्रभाव

चिकित्साशास्त्र के अध्ययनों से यह ज्ञात हो चुका है कि यदि व्यक्ति के आहार में जरूरत से ज्यादा मात्रा में संतृप्त वसा का समावेश होता है तो उस स्थिति में धीरे-धीरे वसा की एक पर्त रक्त धमनियों में जमने लगती है। जैसे-जैसे यह पर्त बढ़ती है, वैसे-वैसे रक्त धमनियों का स्थान संकरा होने लगता है। इस स्थिति में रक्त परिवहन सुचारु रूप से नहीं हो पाता। इस असामान्य स्थिति को एथीरोस्कलोरोसिस कहते हैं। यह स्थिति शरीर एवं स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल होती है। इसके अलावा यदि हमारे आहार में निरन्तर वसा की अधिक मात्रा रहती है तो रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। इसके परिणामस्वरूप कोरोनरी हृदय आक्रमण तथा पक्षाघात की आशंका बढ़ जाती है। यह घातक भी हो सकता है।

वसा की कमी से होने वाले प्रभाव

सर्वप्रथम यदि बाल्यावस्था एवं किशोरावस्था में आहार में वसा की कमी हो तो शारीरिक वृद्धि अवरुद्ध हो जाती है। वसा की कमी के परिणामस्वरूप व्यक्ति की त्वचा में भी कुछ विकार आने लगते हैं। ऐसे में प्रायः त्वचा खुरदरी हो जाता है तथा उसमें स्थान-स्थान पर दरारें - सी पड़ने लगती हैं। शरीर में वसा की कमी से पैरों में सूजन भी आ जाती है। वसा की कमी का एक अन्य दृष्टिकोण से शरीर एवं स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ विटामिन केवल वसा में ही घुलनशील होते हैं। यदि शरीर में वसा की कमी होती है तो उस स्थिति में शरीर में वसा घुलित विटामिनों का अवशोषण नहीं हो पाता अतः शरीर में इन विटामिनों की भी कमी होने लगती है। शरीर में विटामिनों की कमी के कारण कुछ अभावजनित रोग भी उत्पन्न होने लगते हैं। शरीर में वसा की कमी के कारण व्यक्ति की ऊर्जा सम्बन्धी आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती तथा व्यक्ति की चुस्ती एवं स्फूर्ति घटने लगती है। ऐसे में व्यक्ति शीघ्र ही थकान अनुभव करने लगता है तथा उसकी परिश्रम करने की क्षमता घट जाती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि वसा की कमी का शरीर एवं स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव ही पड़ता है।

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    अनुक्रम

  1. आहार एवं पोषण की अवधारणा
  2. भोजन का अर्थ व परिभाषा
  3. पोषक तत्त्व
  4. पोषण
  5. कुपोषण के कारण
  6. कुपोषण के लक्षण
  7. उत्तम पोषण व कुपोषण के लक्षणों का तुलनात्मक अन्तर
  8. स्वास्थ्य
  9. सन्तुलित आहार- सामान्य परिचय
  10. सन्तुलित आहार के लिए प्रस्तावित दैनिक जरूरत
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. आहार नियोजन - सामान्य परिचय
  13. आहार नियोजन का उद्देश्य
  14. आहार नियोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
  15. आहार नियोजन के विभिन्न चरण
  16. आहार नियोजन को प्रभावित करने वाले कारक
  17. भोज्य समूह
  18. आधारीय भोज्य समूह
  19. पोषक तत्त्व - सामान्य परिचय
  20. आहार की अनुशंसित मात्रा
  21. कार्बोहाइड्रेट्स - सामान्य परिचय
  22. 'वसा’- सामान्य परिचय
  23. प्रोटीन : सामान्य परिचय
  24. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  25. खनिज तत्त्व
  26. प्रमुख तत्त्व
  27. कैल्शियम की न्यूनता से होने वाले रोग
  28. ट्रेस तत्त्व
  29. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  30. विटामिन्स का परिचय
  31. विटामिन्स के गुण
  32. विटामिन्स का वर्गीकरण एवं प्रकार
  33. जल में घुलनशील विटामिन्स
  34. वसा में घुलनशील विटामिन्स
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. जल (पानी )
  37. आहारीय रेशा
  38. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  39. 1000 दिन का पोषण की अवधारणा
  40. प्रसवपूर्व पोषण (0-280 दिन) गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त पोषक तत्त्वों की आवश्यकता और जोखिम कारक
  41. गर्भावस्था के दौरान जोखिम कारक
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  43. स्तनपान/फॉर्मूला फीडिंग (जन्म से 6 माह की आयु)
  44. स्तनपान से लाभ
  45. बोतल का दूध
  46. दुग्ध फॉर्मूला बनाने की विधि
  47. शैशवास्था में पौष्टिक आहार की आवश्यकता
  48. शिशु को दिए जाने वाले मुख्य अनुपूरक आहार
  49. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  50. 1. सिर दर्द
  51. 2. दमा
  52. 3. घेंघा रोग अवटुग्रंथि (थायरॉइड)
  53. 4. घुटनों का दर्द
  54. 5. रक्त चाप
  55. 6. मोटापा
  56. 7. जुकाम
  57. 8. परजीवी (पैरासीटिक) कृमि संक्रमण
  58. 9. निर्जलीकरण (डी-हाइड्रेशन)
  59. 10. ज्वर (बुखार)
  60. 11. अल्सर
  61. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  62. मधुमेह (Diabetes)
  63. उच्च रक्त चाप (Hypertensoin)
  64. मोटापा (Obesity)
  65. कब्ज (Constipation)
  66. अतिसार ( Diarrhea)
  67. टाइफॉइड (Typhoid)
  68. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  69. राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाएँ और उन्हें प्राप्त करना
  70. परिवार तथा विद्यालयों के द्वारा स्वास्थ्य शिक्षा
  71. स्थानीय स्वास्थ्य संस्थाओं के द्वारा स्वास्थ्य शिक्षा
  72. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रः प्रशासन एवं सेवाएँ
  73. सामुदायिक विकास खण्ड
  74. राष्ट्रीय परिवार कल्याण कार्यक्रम
  75. स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन
  76. प्रतिरक्षा प्रणाली बूस्टर खाद्य
  77. वस्तुनिष्ठ प्रश्न

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